हम ग्रह की किस शक्ति से प्रभावित हैं

 how to find strongest planet in horoscope
एक ही ग्रह का कोण बदल जाने से उसका प्रभाव बदल जाता है

(लेखक - श्री विद्या सागर महथा)



पृथ्वी के सभी जड़-चेतन , जीव-जंतु और मनुष्य ग्रहों के विकिरण , कॉस्मि‍क किरण , विद्युत-चुम्बकीय तरंग , प्रकाश , गुरुत्वाकर्षण या गति से ही प्रभावित हैं । इन सभी शक्तियों की चर्चा भौतिक विज्ञान में की गयी है। पुन: विज्ञान इस बात की भी चर्चा करता है कि सभी प्रकार की शक्तियॉ एक-दूसरे के स्वरुप में रुपांतरित की जा सकती है। ऊपर लिखित शक्तियों के चाहे जिस रुप से ग्रह हमें प्रभावित करें , वह शक्ति निश्चि‍त रुप से ग्रहों के स्थैतिक और गतिज ऊर्जा से प्रभावित हैं , क्योंकि व्यावहारिक तौर पर मैंने पाया है कि ग्रह-शक्ति का संपूर्ण आधार उसकी गति में छुपा हुआ है।

पुन: एक प्रश्न और उठता है , सभी ग्रह मिलकर किसी दिन पृथ्वीवासियों के लिए ऊर्जा या शक्ति से संबंधित एक जैसा वातावरण बनाते हैं , तो उसका प्रभाव भिन्न-भिन्न वनस्पति , जीव-जंतु , और मनुष्यों पर भिन्न-भिन्न रुप से क्यों पड़ता है ? एक ही तरह की किरणों का प्रभाव एक ही समय पृथ्वी के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न तरह से क्यों पड़ता है ? इस बात को समझने के लिए कुछ बातों पर गौर करना पड़ेगा। मई का महीना चल रहा हो , मध्य आकाश में सूर्य हो ,दोपहर का समय हो , प्रचण्ड गर्मी पड़ती है। इसी समय पृथ्वी के जिस भाग में सुबह हो रही होगी , वहॉ सुबह के वातावरण के अनुरुप , जहॉ शाम हो रही होगी , वहॉ शाम के अनुरुप तथा जहॉ मध्य रात्रि होगी , वहॉ समस्त वातावरण आधी रात का होगा। 

अभिप्राय यह है कि एक ही किरण का कोण बदल जाने से उसका प्रभाव बिल्कुल बदल जाता है। दोपहर की सूर्य की प्रचंड गर्मी , जो अभी व्याकुल कर देनेवाली है , आधीरात को स्वयंमेव राहत देनेवाली हो जाती है। प्रत्येक दो घंटे में पृथ्वी अपने अक्ष में 30 डिग्री आगे बढ़ जाती है और इसके निरंतर गतिशील होने से सभी ग्रहों के प्रभाव का कार्यक्षेत्र बदल जाता है। पृथ्वी के हर क्षण के बदलाव के कारण ग्रहों के कोण में बदलाव आता है , जिसके फलस्वरुप हर क्षण सृजन , जन्म-मरण , आविर्भाव आदि जीवात्मा की ग्रंथियों में दर्ज हो जाती है। साथ ही सदैव बदलते ग्रहीय परिवेश के साथ हर जीवात्मा की धनात्मक-ऋणात्मक प्रतिक्रिया होती है। इस तरह एक ही ग्रहीय वातावरण का पृथ्वी के चप्पे-चप्पे में स्थित जड़-चेतन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। 


ग्रह की गति , प्रकाश , गुरूत्‍वाकर्षण से लोग प्रभावित होते हैं



प्रश्न यह भी है कि जब ग्रह की गति , प्रकाश ,गुरुत्वाकर्षण या विद्युत-चुम्बकीय-शक्ति से लोग प्रभावित हैं , तो अभी तक ग्रह-शक्ति की तीव्रता की जानकारी के लिए भौतिक विज्ञान का सहारा नहीं लेकर फलित ज्योतिष में स्थानबल , दिक्बल , कालबल , नैसर्गिक बल , चेष्टाबल , दृ‍ष्टि‍बल , आत्मकारक , योगकारक , उत्तरायण , दक्षिणायण , अंशबल , पक्षबल आदि की चर्चा में ही ज्योतिषी क्यों अपना अधिकांश समय गंवाते रहें ? आज इनसे संबंधित हर नियमों और को बारी बारी से हर कुंडलियों में जॉच की जाए , इन नियमों को कम्प्यूटरीकृत कर इसकी जॉच की जाए , मेरा दावा है , कोई निष्कर्ष नहीं निकलेगा। भौतिक विज्ञान में जितनें प्रकार की शक्तियों की चर्चा की गयी है , सभी को मापने के लिए इकाई , सूत्र या संयंत्र की व्यवस्था है । ग्रहों की शक्ति को मापने के लिए हमारे पास न तो सूत्र है, न इकाई और न ही संयंत्र।


विकासशील विज्ञानो का एकदूसरे से परस्‍पर सहसंबंध आवश्‍यक 

आज से हजारो वर्ष पूर्व सूर्यसिद्धांत नामक पुस्तक में ग्रहों की विभिन्न गतियों का उल्लेख है , इन गतियों के भिन्न-भिन्न नामकरण हैं किन्तु इन गतियों की उपयोगिता केवल ग्रह की आकाश में सम्यक् स्थिति को दिखाने तक ही सीमित थी। इन्हीं गतियों में विभिन्न प्रकार से ग्रह की शक्तियॉ छिपी हुई हैं , इस बात पर अभी तक लोगों का ध्यान गया ही नहीं था। किसी भी स्थान पर ये ग्रह विभिन्न गतियों से संयुक्त हो सकते हैं। अत: एक ही स्थान पर रहकर ये ग्रह भिन्न गति के कारण भिन्न फल को प्रस्तुत करते हैं , जातक को भिन्न मनोदशा देते हैं। फलित ज्योतिष में ग्रह-गतियों के विभिन्न फलों का पूरा उपयोग किया जा सकता है , जिसका उल्लेख ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में नहीं किया गया है। इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि उस समय भौतिक विज्ञान में उल्लि‍खित स्थैतिज या गतिज ऊर्जा , गुरुतवाकर्षण , कॉस्मि‍क किरण , विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र आदि की खोज नहीं हुई हो।

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स्मरण रहे , हर विज्ञान का विकास द्रुतगति से तभी हो सकता है , जब विकासशील विज्ञान एक दूसरे से परस्पर धनात्मक सहसंबंध बनाए रखें। उन दिनों भौतिक विज्ञान का बहुआयामी विकास नहीं हो पाया था , इसलिए हमारे ऋषि या पूर्वज ग्रहों की शक्ति की खोज आकाश के विभिन्न स्थानों में उसकी स्थिति में ढूंढ़ रहे थे। उन्होने ग्रहों की शक्ति को खोज में एड़ी-चोटी का पसीना एक कर दिया था। कभी वे पातें कि ग्रहों की शक्ति भिन्न-भिन्न राशि‍यों में भिन्न-भिन्न है। कभी महसूस करते कि एक ही राशि‍ में ग्रह भिन्न-भिन्न फल दे रहें हैं। उसी राशि‍ में रहकर कभी अपनी सबसे बड़ी विशेषता तो कभी अपनी कमजोरी दर्ज कराते हैं। आज के सभी विद्वान ज्योतिषी भी अवश्य ही ऐसा महसूस करते होंगे। मैं अनेक कुंडलियों में एक ही राशि‍ में स्थित ग्रहों से उत्पन्न दो विपरीत प्रभावों को देख चुका हूं। कर्क लग्न हो , पंचम भाव में वृश्चि‍क राशि‍ का बृहस्पति हो , ऐसी स्थिति में व्यक्ति संतान सुख से परिपूर्ण , संतृप्त भी हो सकता है , तो निस्संतान और दुखी भी। 


वृश्चि‍क राशि‍ के पंचम भाव का बृहस्पति चाहे जिस द्रेष्काण , नवमांश , षड्वर्ग या अष्टकवर्ग में हो , जितने भी अच्छे अंक प्राप्त कर लें , यदि वह मंगल के सापेक्ष अधिक गतिशील नहीं हुआ , तो जातक धनात्मक परिणाम कदापि नहीं प्राप्त कर सकता। अत: ग्रह की शक्ति किसी विशेष स्थान में नहीं , वरन् उसके राशि‍श की तुलना में बढ़ी हुई गति के कारण होती है। ग्रह के बलाबल निर्धारण के लिए परंपरा से दिक्बल को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। राजयोग प्रकरण की समीक्षा में उद्धृत कुंडली में मंगल दिक्बली था , किन्तु जातक युवावस्था में ही टी बी का मरीज था। मैंने पाया कि उसके जन्मकाल में मंगल समरुपगामी था , जो अतिशीघ्री राशि‍श के भाव में स्थित था। इस कारण मंगल ऋणात्मक था और युवावस्था में ही यानि मंगल के काल में ही जातक की सारी परिस्थितियॉ और प्रवृत्तियॉ ऋणात्मक थी। फलित ज्योतिष में अब तक ग्रहों की स्थिति को ही सर्वाधिक महत्व दिया गया है , उसकी हैसियत या शक्ति को समझने की चेष्टा हीं की गयी है। धनभाव में स्थित वृष का बृहस्पति करोड़पति और भिखारी दोनों को जन्म दे सकता है। इस कारण बृहस्पति और शुक्र दोनों में अंतिर्नहित शक्ति को भिन्न तरीके से समझने की बात होनी चाहिए। थाने में बैठे सभी लोगों को थानेदार समझ लिया जाए तो अनर्थ ही हो जाएगा , क्योंकि भले ही वहॉ अधिक समय थानेदार की उपस्थिति रहती हो , परंतु कभी वहॉ एस पी , डी एस पी और कभी सफेदपोश अपराधी भी बैठे हो सकते हैं।

अभी तक ग्रहों के बलाबल को समझने के लिए विभिन्न विद्वानों की ओर से जितने तरह के सुझाव ज्योतिष के ग्रंथों में दिए गए हैं , वे पर्याप्त नहीं हैं। परंपरागत सभी नियमों की जानकारी , जो शक्ति निर्धारण के लिए बनायी गयी है , में सर्वश्रेष्ठ कौन सा है , निकालना मुश्कि‍ल है , जिसपर भरोसा कर तथा जिसका प्रयोग कर भविष्यवाणी को सटीक बनाकर जनसामान्य के सामने पेश किया जा सके। ऐसी अनेक कुंडलियॉ मेरी निगाहों से होकर भी गुजरी हैं , जहॉ ग्रह को शक्तिशाली सिद्ध करने के लिए प्राय: सभी नियम काम कर रहे हैं , फिर भी ग्रह का फल कमजोर है। इसका कारण यह है कि उपरोक्त सभी नियमों में से एक भी ग्रह-शक्ति के मूलस्रोत से संबंधित नहीं हैं। इसी कारण फलित ज्योतिष अनिश्चि‍त वातावरण के दौर से गुजर रहा है।


'गत्यात्मक ज्योतिष' टीम से मुलाक़ात करें।


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61 टिप्पणियाँ

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बेनामी
admin
26 अक्तूबर 2008 को 2:03 am बजे ×

आपको सपरिवार दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

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Vivek Gupta
admin
27 अक्तूबर 2008 को 2:21 pm बजे ×

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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Vivek Gupta
admin
27 अक्तूबर 2008 को 2:21 pm बजे ×

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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27 अक्तूबर 2008 को 10:55 pm बजे ×

संगीता जी ,
बहुत बहुत शुभकामना दीपीवली की आपको और आपके परिवार को ।

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बवाल
admin
1 नवंबर 2008 को 1:18 am बजे ×

Bahut sunder lekh likha hai jee. Kya kahna !

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ni:shabd
admin
1 नवंबर 2008 को 1:26 pm बजे ×

sangeeta puri ji,
shubhkamnao ke liye tahedil se dhanywad.
tarun sharma, ni:shabd...shabdon ke jahan mein.

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Jimmy
admin
14 नवंबर 2008 को 11:18 pm बजे ×

bouth aacha post kiyaa ji


Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji

http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/

Etc...........

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Jimmy
admin
23 नवंबर 2008 को 10:30 pm बजे ×

हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.


bouth he aacha lakh hai aapka


visit my sites its a very nice Site and link forward 2 all friends

shayari,jokes and much more so visit

http://www.discobhangra.com/shayari/

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Unknown
admin
2 दिसंबर 2008 को 12:20 am बजे ×

very nice blog ....
and nice information.....

pls visit my blogs too

http://spicygadget.blogspot.com/

http://mobileflame.blogspot.com/

thank you

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Rahul kundra
admin
11 दिसंबर 2008 को 5:15 am बजे ×

mere blog par aapki tipni ke liye aapka bhut-bhut thanyavaad, apka profile dekh kar pata chala ki kala ke sath sath aapko jyotish me bhi ruchi hai, mere pita ji bhi bharat ke ek jane mane jyotishi hai aur log unhe Guru R.K.Kundra ke naam se jante hai, khair ek baar phir aapka thanyavaad.

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12 दिसंबर 2008 को 2:39 am बजे ×

संगीता जी ,

डूम्स डे ( २०१२-२०१३ अनुमानित ) के बारे में आपकी निजी राय ?

Regards,

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15 दिसंबर 2008 को 1:53 am बजे ×

Namaste Sangeeta Puri ji...

Thanks a lot for your blessing comment.

It will really encourage me.

god bless you maam.

Gajendra Singh Bhati

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17 दिसंबर 2008 को 2:04 am बजे ×

सादर ब्लॉगस्ते,



आपका यह संदेश अच्छा लगा। क्या आप भी मानते हैं कि पप्पू वास्तव में पास हो जगाया है। 'सुमित के तडके (गद्य)' पर पधारें और 'एक पत्र पप्पू के नाम' को पढ़कर अपने विचार प्रकट करें।

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17 दिसंबर 2008 को 6:49 am बजे ×

बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका। आपने मेरे ब्लॉग पर विज़िट किया बहुत अच्छा लगा। आगे भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिए। धन्यवाद

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Anil Singh
admin
20 दिसंबर 2008 को 1:48 am बजे ×

संगीता जी, टेक पत्रिका के लिए आपने जो सुखद शब्द कहे उनके लिए आपका धन्यवाद । आपका ब्लाग टेक पत्रिका के ब्लागरोल में है ।

धन्यवाद

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Unknown
admin
25 दिसंबर 2008 को 4:20 am बजे ×

Wish you a Merry Christmas and may this festival bring abundant joy and happiness in all of yours life!

Merry Chirstmas.....


http://spicygadget.blogspot.com/

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बेनामी
admin
25 दिसंबर 2008 को 7:15 am बजे ×

protsaahan ke liye dhanyawaad. jyotish me meri bhi ruchi hai par jaankari kuch nahi. bahut hi complicated subject hai.. lekin vishwaas hai ki grah kisi na kisi tarah se to hame prabhavit karte hain.. aage bhi maargdarshan keejiyega..

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26 दिसंबर 2008 को 2:55 am बजे ×

daam hai lekha me ............mera naya rchana ......netaji smajho par aapana mat de

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26 दिसंबर 2008 को 6:30 am बजे ×

garho ka bala-bal kitna prbhavit karta hai apne bahut sargabhit wyakhya ki hai .jyotish me mai swayam astakverg wa samikit astak verg ke adhar pr gochar ka falit nikal kr uski kasoti ko parakhta raha hoo, lakin kai war result wiprit mila hai shayad garho ki gati ne apna prabhav dikhaya hai.agar sambhav ho sake to tula lagn me ekadash bhav wa us pr garho ke prabhav tatha garho ki gati ki wyakha aur wistrit kere.
nav-varsh ki aneka nak subhkamnaye
sanjay sanam

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28 दिसंबर 2008 को 2:09 am बजे ×

बहुत अच्छा लगा आपका मेरे ब्लॉग पर आना !प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ !

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31 दिसंबर 2008 को 8:19 am बजे ×

नववर्ष २००९ की मंगल कामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई !

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Unknown
admin
1 जनवरी 2009 को 12:09 am बजे ×

आप और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं. नव वर्ष आपके जीवन में सुख और शान्ति लाये.

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13 जनवरी 2009 को 1:26 am बजे ×

sangeeta ji,
aapki bhawnao ke liye shukriya,
koshish rahegi niymit blog par lekhan zaari rahe.
aapka phalit jyotish bahut lokpriy ho raha hai.
kirti rana.

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19 जनवरी 2009 को 6:18 am बजे ×

संगीता जी। आपकी टिप्पणी पढ़ी, बहुत बहुत धन्यवाद!

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21 जनवरी 2009 को 1:19 am बजे ×

उपयोगी बातें, इन्‍हें वैज्ञानिक स्‍तर पर भी कसना चाहिए।

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Dev Vyas
admin
22 जनवरी 2009 को 9:52 pm बजे ×

Sangeeta ji,
Aapka blog dekha.... Apne Jyotisheey gyan se ise samriddha banaye rake........
Shubhkamnaye........

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24 जनवरी 2009 को 7:14 am बजे ×

आपने मेरे ब्लॉग का स्वागत किया ,मै आपका शुक्रगुजार हू !आपका प्रोत्साहन सदा यू ही मिलता रहेगा यही कामना है !

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25 जनवरी 2009 को 8:48 am बजे ×

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाए |
इश्वर हम सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करने की शक्ति प्रदान करे .....

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25 जनवरी 2009 को 8:59 am बजे ×

संगीता जी आपके ब्लॉग को अक्सर मैंने देखा-पढ़ा है,किंतु इस विषय पर मैं कुछ कह ही नहीं पाता,हालाँकि इस विषय पर मेरा पर्याप्त आकर्षण है.मगर सिर्फ़ आकर्षणवश कुछ कहने से परहेज रखता हूँ.किंतु इतना अवश्य है,कि आपका ब्लॉग मेरी पसंद में शामिल है...सच!!

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25 जनवरी 2009 को 10:57 pm बजे ×

दोस्तों, देश मै वर्तमान हालत के चलते एक बहुत बड़ी तादात ऐसे युवाओ की तैयार हो रही है !जो स्वयम के हित साधने के लिए सारे नियम ताक पर रखने को तैयार है !हम सारे देश को नहीं सुधार सकते ,परन्तु स्वयम के कर्तव्यो का सात्विकता से पालन कर अपने आस -पास के लोगो के सामने आदर्श प्रस्तुत कर सकते है आइये इस गणतंत्र दिवस पर देश हित मै स्वयम के निमित्त संकल्प ले ! "सुधरे व्यक्ति ,समाज व्यक्ति से ,राष्ट्र स्वयम सुधरेगा ! जय हिंद

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26 जनवरी 2009 को 5:25 am बजे ×

सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
-----------------------------------
60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!

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Sonal
admin
1 फ़रवरी 2009 को 10:33 pm बजे ×

ज्योतिष शास्त्र अपने आप मे एक काफी बडा और गहन शास्त्र है। कुछ लोग विश्वास रखते है कुछ नही। इस शास्त्र को अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोन से देखा जाये तो वह हमे उसके अंकित नही होने देता। लेकिन अगर दिल और दिमाग को अपने काबूमे रखे बिना अगर ज्योतिष शास्त्र को हम मानते चलते है तो इस शास्त्रके अंकित होना अनिवार्य होता है। एक बात मै मानती हूं के अगर आपकी सोच मे विचार मे तथा आचार मे सच्चाई है तो कोई भी आप को अपने मंजिल तक पहुंचनेसे रोक नही सकता।
आपकी पोस्ट्स अभी पुरे पढे नही है। ज्योतिष शास्त्रके बारेमे शायद काफी जानकारी मुझे मिलेगी आपके ब्लॉगसे। यह पोस्ट वैज्ञानिक है। बहोत अच्छी है।

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4 फ़रवरी 2009 को 2:09 pm बजे ×

आपने ज्योतिष विधा की बहुमूल्य जानकारिया दे रखी है. पूर्व के पोस्ट में समाचार पत्रों में दी जा रही जानकारियों पर ठीक ही लिखा है.प्रश्न है की आखिर ज्योतिषविद किन नियमो को आधार बनाकर इसकी प्रमाणिकता को मजबूत करे.

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12 फ़रवरी 2009 को 9:24 pm बजे × इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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21 फ़रवरी 2009 को 12:11 am बजे ×

,आप की पोस्ट बेहद जानकारी और रोचक भरी,है वैज्ञानिक दर्ष्टि से और जीवन को प्रभावित करने वाली सभी सकारात्मक अनुभवों के आधार पर भी इसमें मेरी अगाध श्रधा है क्या कभी किसी प्रशन का जवाब मिलेगा ज्योतिष सम्बन्धी...बताइयेगा आभार

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बेनामी
admin
21 फ़रवरी 2009 को 7:37 pm बजे ×

आप लेख ज्ञानवर्धक है.

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22 फ़रवरी 2009 को 12:16 am बजे ×

Aapka blog jankaariyon ka bhandaaar hai...badhai..

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22 फ़रवरी 2009 को 12:17 am बजे ×

Aapka blog jankaariyon ka bhandaaar hai...badhai..

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Unknown
admin
27 फ़रवरी 2009 को 8:35 pm बजे ×

ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद

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27 फ़रवरी 2009 को 9:17 pm बजे ×

बहुत गम्‍भीर बातें हैं।

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Vinay
admin
9 मार्च 2009 को 4:59 am बजे ×

रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ

---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

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KK Yadav
admin
10 मार्च 2009 को 12:58 am बजे ×

होली के शुभ अवसर पर,
उल्लास और उमंग से,
हो आपका दिन रंगीन ...

होली मुबारक !
'शब्द सृजन की ओर' पर पढें- ''भारतीय संस्कृति में होली के विभिन्न रंग''

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10 मार्च 2009 को 5:11 am बजे ×

आप सबको होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

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10 मार्च 2009 को 11:17 am बजे ×

आपको और आपके परिवार को होली मुबारक

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10 मार्च 2009 को 7:59 pm बजे ×

ज्योतिष शास्त्र पर लेख के लिए बहुत धन्यवाद सरिता जी। ये मेरा भी रूचि का विषय है और खासकर इस सन्दर्भ में मै तमाम अन्य समांतर विषयों को एक साथ समझने का प्रयास करता रहता हूँ। मेरे विचार में हमारा ज्योतिष शास्त्र सिर्फ़ प्रभावों का ज्ञान देता है लेकिन दुर्भाग्य से ये नही बताता की ऐसा क्यों होता है। अब प्रभाव को समझाने के लिए हम भौतिक विज्ञान का सहारा ले सकते है, आध्यात्म का सहारा ले सकते है या फ़िर कुछ और। लेकिन इन सब का ज्ञान हमारे पास बहुत सीमित है और सरे प्रश्नों का उत्तर नही देता। मैंने स्वयं दक्षिण भारत के नाड़ी ज्योतिष को देखा है और आश्चर्यजनक तथ्य जाने है। इसके मूल के कई सिद्धांत है जो मनुष्य जीवन के मूलभूत आधारों पे निर्धारित हैं। मै ऐसा मानता हूँ की जबतक जीवन के इन मूलभूत आधारों का पता नही चलता, तब तक ज्योतिष हमारे लिए एक रुचिकर विषय ही रहेगा जो हम अपने स्वार्थ के लिए तोड़ मरोड़ के लिए इस्तेमाल करने में लगे रहेंगे।

आप अपनी खोज जारी रखिये। क्या मालूम कैसे सच्चाई सामने आए...बहुत शुभ कामनाएं और होली की बधाईयाँ.

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19 मार्च 2009 को 11:24 am बजे ×

Sangta Zee Apka blog pada. mujhe bhi jyotish me vishwas hai. yah dhek aur jan ker achchha laga ki apko itne log padte hain.
Subhkamna.

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19 मार्च 2009 को 11:24 am बजे ×

Sangta Zee Apka blog pada. mujhe bhi jyotish me vishwas hai. yah dhek aur jan ker achchha laga ki apko itne log padte hain.
Subhkamna.

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19 मार्च 2009 को 11:25 am बजे ×

Sangta Zee Apka blog pada. mujhe bhi jyotish me vishwas hai. yah dhek aur jan ker achchha laga ki apko itne log padte hain.
Subhkamna.

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19 मार्च 2009 को 11:28 am बजे ×

Sangta Zee Apka blog pada. mujhe bhi jyotish me vishwas hai. yah dhek aur jan ker achchha laga ki apko itne log padte hain.
Subhkamna.

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alka mishra
admin
21 मार्च 2009 को 6:57 am बजे ×

aap kee snehyukt tippadee ka jawaab kuchh der se de raha hoon. aapka blog abhi padh aur samajh raha hoon. aap ne bahut mehnat kee hai.

SARWAT JAMAL

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21 मार्च 2009 को 11:10 am बजे ×

बदले हुए तस्विर के लिए बधाई, दो दिनो-25 और 26 मार्च को बोकारो सेक्टर - 4 में रहूँगा ।

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23 मार्च 2009 को 1:42 am बजे ×

आपके लेखों में दिलचस्पी तो है पर पर्याप्त जानकारी के अभाव में बहुत सी चीजें मन में ही रह जाती हैं । हाल की ग्रह स्थिति भारत के लिये कैसी है । क्या चुनाव के बाद कोई स्थिर सरकार आयेगी या जोड तोड ही चलता रहेगा ।
आपकी टिप्पणी हमेशा उत्साह वर्धन करती है ।

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28 मार्च 2009 को 1:00 am बजे ×

नव संवत्सर २०६६ विक्रमी और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

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2 अप्रैल 2009 को 12:04 pm बजे ×

too hard to understand.. make it lil easy.. please but nice to c a blog about jyotish..

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3 अप्रैल 2009 को 2:27 pm बजे ×

ग्रहों के बारे आपकी सोच निश्चय ही प्रशंस्निये है

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24 अप्रैल 2009 को 9:57 pm बजे ×

मूर्ति इस लिए वन्दनीय नही है की उसमे देवता का वास है,बल्कि इसलिए की उसने तराशे जाने का दर्द सहा है! snवेदनशील कविता के लिए आभारी है! धन्यवाद !
- उमेश पाठक

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